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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

अथवा
निर्मल वर्मा का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी भाषा-शैलीगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
निर्मल वर्मा की कहानियों की भाषा-शैली की विशेषताएँ बताइये।

उत्तर -

परिचय और व्यक्तित्व - निर्मल वर्मा का जन्म सन् 1929 ई. में शिमला में हुआ था। बाल्यावस्था पर्वतीय स्थली में व्यतीत होने के कारण आपका प्रकृति के प्रति सदैव अनुराग रहा, जो उनके यात्रा संस्मरणों में अभिव्यक्त हुआ है। वेक्षि उपन्यास में वे दिसम्बर में चेकोस्लोवाकिया में बर्फ के गिरने का अत्यन्त विस्तार से रोचक वर्णन प्रायः सम्पूर्ण कथानक में करते हैं।

निर्मल वर्मा ने 'सेन्ट स्टीफन कालेज दिल्ली से इतिहास में एम. ए. उत्तीर्ण कर कुछ वर्ष तक अध्ययन किया। सन् 1956 ई. में प्राग चेकोस्लोवाकिया के प्राच्य विद्या संस्थान और चेकोस्लोवाक लेखक संघ द्वारा आपको आमन्त्रित किया गया। आप यहाँ सात वर्ष की लम्बी अवधि तक रहे और अनेक चेक उपन्यासों और कहानियों का अनुवाद किया। इसके पश्चात आप कुछ वर्षो तक लन्दन में भी रहे। आपने यूरोप के दीर्घकालिक प्रवास के दौरान अपने 'टाइम्स ऑफ इण्डिया' के लिये यूरोप की सांस्कृतिक, राजनीतिक समस्याओं पर लेख और रिपोर्ताज लिखे, जिनका संग्रह 'चीडो पर चाँदनी' और 'हर वारिश में है।

सन् 1972 ई. में यूरोप से लौटने के उपरान्त वर्मा जी 'इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवान्स्ड स्टडीज' शिमला में फैलो रहे। यहाँ आपने 'मिथक चेतना पर काम किया। वर्मा जी सन् 1977 ई. में 'इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम आयोग अमरीका में सम्मिलित हुए। वर्मा जी की प्रसिद्ध 'माया दर्पण' पर फिल्म का निर्माण किया गया इस फिल्म को सन् 1973 ई. में सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

कृतित्व - वर्मा जी के निम्न कहानी-संग्रह, निबन्ध संकलन, नाटक संकलन अनुवाद और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।

 

कहानी संग्रह - परिन्दे, जलती झाड़ी, पिछली गर्मियों में, बीच बहस में आदि।

निबंध तथा संस्मरण - चीड़ों पर चाँदनी, हर वारिश में, शब्द और स्मृति - कला का जोखिम आदि।

नाटक - तीन एकान्त।

संकलन- दूसरी दुनिया, मेरी प्रिय कहानियाँ।

अंग्रेजी में अनुवादित - डैज आफ लैंगिक (उपन्यास), हिल स्टेशन (कहानियाँ)।

उपन्यास - वे दिन, लाल टीन की छत, एक चिथड़ा सुख।

भाषा-शैली वर्मा जी के गद्य साहित्य की भाषा पर उनके पक्ष की स्पष्ट छाप पड़ी है। भाषा का स्वरूप मानव के अहं के उद्घाटन एवं पात्रों की मनोवृत्तियों के सूक्ष्म विश्लेषण के आधार पर निर्धारित हुआ है। पात्रों के मन की द्वन्द्वात्मक स्थिति अथवा मानसिक विकृति का चित्र खींचने के लिए उपमानों का प्रयोग अधिक हुआ है। मनोवैज्ञानिक प्रणाली से पात्रों के भाव प्रकाशन तथा उनके मानसिक द्वन्द्वों के उद्घाटन में वैज्ञानिक उपमानों एक प्रयोग से वर्मा जी ने भाषा में अलंकारिता के गुण का समावेश कर दिया है। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं - "क्या कला हमारी जिन्दगी पर सचमुच कोई असर डालती है? इस सवाल में एक धोखा देह सरलता छिपी हुई है। उसी तरह जैसे सारे गहरे प्रश्नों के साथ हमेशा होता है।' यही नहीं इस सवाल में धूल और उम्र की हल्की-सी गंध भी है एक ऐसी गंध जो बहुत सारे विवादों और लड़ाइयों, बेलिन्स की गो गोल और उस समय की याद दिलाती है जब कला सचमुच एक सम्मान या दहशत पैदा करने वाला कर्म था एक हद तक पवित्र और अभिजात कर्म। आधुनिक समय में यह बात अविश्वसनीय लगती है कि कोई मरता हुआ लेखक अपने समकालीन लेखक बन्धु से यह मिन्नत करे कि उपन्यास लिखना बन्द नहीं होना चाहिये।'

कहानी की एक सीधी-सीधी घटना का उदाहरण देखिए "यह सितम्बर की एक शाम थी। मैं सड़क पार कर रहा था। इसमें कोई नई याद अजीब बात कही है। हमने अपनी जिन्दगी में अनेक सितम्बर की शामें देखीं और सड़कें पार की हैं, फिर भी इस वाक्य को पढ़ते हुए हम एकाएक चौक पड़ते हैं, इस तरह जैसे अतीत के सारे अधूरे, उलझे और गड्ड-भड्ड एक बहुत नुकीले बिन्दु पर आकर जम गए हों और वह स्मृति है। हम जो अनुभव करते हैं वह जाना पहचाना होते हुए भी इस वाक्य में वह नहीं है।"

" एक बार अस्तित्व में आ जाने के बाद कला पर ऐसे प्रायोजन थोपे जाते हैं जो भले ही उसके मूल्यांकन की शर्त बन जाएं लेकिन वे रचना की बुनियादी मांग से अलग होते हैं, वह मांग जो किसी भी नैतिक कर्म की तरह अपने आप में एक प्रयोजन होती है। स्वतन्त्रता में जन्मा यह रूप किसी के नहीं बल्कि स्वयं स्वतन्त्रता के काम आता है और यही उसकी नैतिकता भी है।"

अलंकार और सूक्तियाँ - वर्मा जी की भाषा में अलंकारों और सूक्तियों का भी पर्याप्त प्रयोग हुआ है यथा-
(1) रोशनदान में फंसा पुराना अखबार काँपने लगता था जैसे कोई पंक्षी उड़ने के लिए बार-बार पंख फड़फड़ाता हो और असहाय सा बैठ जाता हो। (उपमा)
(2) मैली बर्फ के टुकड़े सफेद खरगोशों के उछलते हुए फुटपाथ के नीचे दुबक गये। (उपमा)।
(3) केवल एक सड़क की बत्तियों का पीलापन सरकता जाता था - अण्डे की सफेदी पर पीला पदार्थ तरल और गिलगिला - सा। (उपमा)
(4) मुझे तब ऐसा लगता था एक सफेद मुलायम-सी चीज जो सिर्फ सिर की चकराहट थी। चकराहट का भी कैसा अजीब रंग होता है। बादल सी हल्की और सफेद। (उपमा)
(5) उसकी पहली पहचान को उतारकर अलग रख दिया था एक पहने हुए कपड़े की तरह।
(6) पीछे चेतना की पहाड़ी थी एक लम्बी गिलहरी की तरह धूप उँघती हुई।
(7) सेण्ट निकलस का गुम्बद बीच में एक जगमगाता हुआ दीप-सा जान पड़ता था। संक्षेप में कहा जा सकता है कि श्री निर्मल वर्मा ने कला और संगीत का आस्वादन करके हिन्दी साहित्य को नया आयाम दिया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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